हाईवे प्रोजेक्ट पर चिंता, 3000 पेड़ों की कटाई पर लगी रोक

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के एक महत्वपूर्ण हाथी कॉरिडोर से गुजरने वाली सड़क परियोजना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने देहरादून के भानियावाला से ऋषिकेश के बीच प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण योजना के तहत 3000 से अधिक पेड़ों की कटाई पर अस्थायी रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने यह आदेश देते हुए पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन (EIA) की आवश्यकता पर जोर दिया है।
स्थानीय विरोध और पर्यावरणीय चिंताएं
प्रस्तावित हाईवे प्रोजेक्ट के तहत दो लेन की मौजूदा सड़क को चार लेन में विस्तारित किया जाना है, जिससे जंगल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई होनी थी। इस कदम का स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में साल, रोहिणी, कंजू और अमलतास जैसे हजारों पेड़ मौजूद हैं, जिनकी कटाई से जैव विविधता को गंभीर खतरा हो सकता है। साथ ही, यह क्षेत्र हाथी, तेंदुए और हिरण जैसे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास भी है।
हाथी कॉरिडोर की अहमियत
याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट के समक्ष ठोस प्रमाण प्रस्तुत किए, जिनमें बताया गया कि उत्तर भारत में हाथी कॉरिडोर वन्यजीवों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनमें बसंता, छेदिया, दुधवा और शिवालिक कॉरिडोर प्रमुख हैं, जो जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। कोर्ट ने माना कि इन क्षेत्रों में किसी भी तरह के अवैध निर्माण या अनियोजित विकास से पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो सकता है।
सरकार को नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव का पूरा आकलन करें और अगली सुनवाई तक किसी भी पेड़ की कटाई न की जाए। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार को वन संरक्षण अधिनियम के तहत सभी आवश्यक स्वीकृतियों, प्रतिपूरक वनीकरण योजना और इस परियोजना के लिए आवंटित धनराशि का पूरा विवरण पेश करने को कहा गया है
आगे की कार्रवाई
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह स्पष्ट करने को कहा है कि यह सड़क किन-किन हाथी कॉरिडोर से होकर गुजरेगी। इसके अलावा, न्यायालय ने पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन की मांग की है ताकि इस परियोजना से होने वाले संभावित नुकसान का सही आंकलन किया जा सके। अगली सुनवाई तक पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह से रोक जारी रहेगी .